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लेखनी कहानी -18-Nov-2022 परी

दूर किसी देश में एक परी रहती है 

पवन सी मुक्त है झरनों सी बहती है 
सुन्दर इतनी कि मेनका भी शरमाए 
आंखों में उसकी मधुशाला समा जाए 
जब चलती है तो बहारें साथ चलती है 
"तमन्ना" उसको छूने को तरसती है 
कोमल शबनमी लब जब खुलते हैं 
दिल में हजारों तूफां एकसाथ उठते हैं 
बालों को लहरा दे तो शाम हो जाये 
जुल्फों तले पीने का इंतजाम हो जाये 
जी करता है मेंहदी वाले हाथ चूम लूं 
बाहों में भर लूं और जी भर के झूम लूं 
कमर जब लचकती है कयामत आती है 
शहर के आशिकों की शामत आ जाती है 
न जाने किसके खयालों में डूबी रहती है 
मुझे तो वह एक सिरफिरी सी लगती है 
सुना है आजकल परियां बहुत उड़ने लगी हैं 
घरवालों के खिलाफ जाकर इश्क करने लगी हैं 
बिना शादी के ही प्रेमी के साथ रहने लगी हैं 
गाजर मूली की तरह टुकड़े टुकडे कटने लगी हैं 

श्री हरि 
18.11.22 

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5 Comments

Gunjan Kamal

24-Nov-2022 06:15 PM

बहुत खूब

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Raziya bano

19-Nov-2022 06:31 PM

Shaandar

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Haaya meer

18-Nov-2022 05:26 PM

Amazing

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